Tuesday, August 23, 2011

JANLOKPAL: Government Still Need More Treatment

जनलोकपाल:सरकार को अभी और इलाज की जरूरत है

कल मैं रामलीला मैदान में था और महसूस किया की अब जल्दी की कोई रास्ता निकलना होगा.

पर सरकार का कहना है की बिल ३० तक पास नहीं हो सकता तो मेरा कहना ये है की अब जनता क्या करे जब सरकार ने अप्रैल से आज तक कोई रास्ता नहीं निकला तो देश कैसे भरोसा करे की आन्दोलन  ख़तम करने के बाद आप लोग आपनी बात पर अडिग रहेगें.

इस देश के आम आदमी का भरोसा अपने नेताओं से उठ चुका, है तो हम सरकार पर भरोसा क्यों करे. आपवाद हर नियम के रहे है तो इस बार क्यों नहीं, अगर समस्या है तो समाधान भी तो होगा. आखिर ये हमारी नस्लों के आने वाले   कल का सवाल है, अन्ना और गाँधी जैसे लोग बार बार नहीं पैदा होते सो आज हमें पीछे हटाना बेमानी है .  

दरसल समस्या नियम कानून की नहीं पर नियत की है , हमारे देश का संविधान बहुत ही सरल है और ऐसी दशा में वो इजतात देता है की हम लीक से हट कर (Out of the way) कोई रास्ता निकाल सकें . सो आ ये बात साफ है की सरकार हमारे साथ  भाड़ में जाओ या  डूब मरो (Go to Hell) की नीति पर कम कर रही है.

अगर प्रधान मंत्री चाहें तो ये गतिरोध ख़तम हो सकता (जहाँ चाह वहां राह ), तरीका भी बहुत आसन है ,
  1. प्रधानमंत्री सारी पार्टियों की के साथ विशेष सत्र बुलाएँ
  2. इस सत्र में जन लोकपाल के प्रमुख मागो पर आमसहमति कर एक मौसदा बिल(Bill of intent) पास करवाएं जिसमे सभी मुख्य बिंदु  आ. जाये
  3. बाकि औपचारिकाताओ का लिये एक नियत समय सीमा भी बताएं जो की देश के उम्मीदो का अनुसार हो.
पर हमारे प्रधान मंत्री जी तो मौन व्रत पर हैं , दरअसल मामला साफ है ,  ये रिमोट से चलने वाले पधानमंत्री हैं और रिमोट (सोनिया गाँधी)  ख़राब है और मरमत के लिया अमरीका गया हुआ है और जब तक वो ठीक होकर नहीं आ जाता हमें इसे ठोक बजा कर ही चलाना होगा.

इसलिय आप से अनुरोध है की  आप सब आप सड़क पर आ जाएँ और इस सरकार को थोरा और भोपू सुनाये.
जब कुम्ब्कर्ण जाग गया तो इनकी क्या औकात है . 
ध्यान रहे आने   वाला हप्ता हिंदुस्तान का वर्तमान और भविष्य बदल सकता है और ऐसा मौका 40 सालो में पहली बार आया है.


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